Haridwar me Ghumne ki Jagah – हरिद्वार में घूमने की जगहें
दोस्तों यदि आप एक धार्मिक प्रवृत्ति का इंसान हो तो आपने हरिद्वार का नाम जरूर सुना होगा। हिन्दू धर्म में कुंभ मेले का विशेष महत्व हैं। कहते हैं जब समुन्द्र मंथन से अमृत निकला तो उसकी बूंदे चार स्थानों पर गिरी थी और उन सभी जगह बारी बारी से कुंभ मेले का आयोजन होता हैं।
इसके अलावा शिव भक्त जो हैं उनके लिए कावड़ यात्रा का विशेष महत्व हैं। हर साल सावन के महीने में हरिद्वार से गंगाजल लेकर श्रद्धालु कावड़ यात्रा में भाग लेते हैं। जो लाखों की संख्या में हरिद्वार आते हैं। अगर आप भी हरिद्वार आने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बताएंगे की Haridwar me Ghumne ki Jagah – हरिद्वार में घूमने की जगहें कौन कौनसी हैं जहाँ आपको जरूर जाना चाहिए।
दोस्तों वैसे तो पूरा हरिद्वार ही एक पवित्र स्थल माना जाता हैं लेकिन कुछ ऐसे विशेष स्थान है जिनके बारे में आपको जानना चाहिए और समझना चाहिए की यहां जाये बिना आपकी हरिद्वार यात्रा सम्पूर्ण नहीं होती हैं। ऐसे में Haridwar me Ghumne ki Jagah – हरिद्वार में घूमने की जगहें हैं जिनकी आपको जानकारी होनी ही चाहिए।
तो वो ऐसी कौनसी Haridwar me Ghumne ki Jagah – हरिद्वार में घूमने की जगहें हैं हम अब जानते हैं:
- हर की पौड़ी गंगा आरती स्थल
- माँ चंडी देवी मंदिर
- माँ मनसा देवी टेम्पल
- भारत माता मंदिर
- दक्ष प्रजापति मंदिर
- प्रेमनगर आश्रम
- राजाजी नेशनल पार्क
- वैष्णो देवी टेम्पल
- पंतजलि योगपीठ
- कुम्भ मेला
- अपर रोड बाज़ार
- पंतद्वीप विवेकानंद पार्क
- शंकर आश्रम
- सत साक्षी घाट
- श्रीकृष्ण घाट
- गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी
- श्री जूना अखाड़ा
- ओम घाट हरिद्वार
1. हर की पौड़ी गंगा आरती स्थल
दोस्तों हर की पौड़ी हरिद्वार का मुख्य पवित्र स्थल है जहाँ शाम की गंगा आरती को देखने क लिए प्रतिदिन हजारों की भीड़ जुटती हैं। शाम साढ़े छह बजे के आसपास यह आरती होती हैं जो कि विश्व प्रसिद्ध हैं। माना जाता हैं जब अमृत कलश से अमृत की बूंदे हरिद्वार में गिरी तो यह इसी स्थान पर गिरी थी। बाद में राजा विक्रमादित्य ने यहाँ पौड़ी निर्माण करवाया था तब से यह एक प्रमुख स्थान के रूप में अस्तित्व में आया हैं।
प्रत्येक संध्या को गंगा जी की आरती होती है जो गंगा मैया को समर्पित की जाती है। यहां पर पुजारियों द्वारा हाथ में लिए बड़ें-बड़े दीपक, जो 21 से 51 दीपों से इस पावन स्थान की आरती की शोभा बढ़ाते है। जिन्हे देखकर ऐसा लगता है जैसे प्रकृति माँ ने हर की पौड़ी के घाट स्थल को अपने पवित्र प्रकाश से जगमगा दिया हो। हर तरफ गंगा मैया की जय के नारे सुनकर भक्त भाव विभोर हो जाते हैं।
गंगाजल में पड़ता दीयों का प्रतिबिंब टिमटिमाते सितारों की तरह दिखाई देता है। गंगा आरती लता मंगेशकर की मधुर आवाज़ पूरे घाट में गूँजती हुई सुनाई पड़ती है। इस आरती का साक्षी बनने सिर्फ भारतीय यात्री ही नहीं बल्कि विदेशी यात्री भी भारी संख्या में आते हैं।
यह पर आपको हर समय लोगों की भीड़ मिलेगी जहाँ स्नान करके लोग गंगाजल भरकर अपने घर को लौटते हैं। अन्य शब्दों में कहे तो हर की पौड़ी हरिद्वार का दिल हैं। श्री गंगा सभा यहां के रखरखाव, साफ सफाई, निर्माण, गंगा आरती, घाट और मंदिर के प्रत्येक कार्य के लिए जिम्मेदार संस्था हैं।
अस्थि विसर्जन, तर्पण, आदि अनेक कार्य केवल इसी घाट पर सम्पन्न कराये जाते हैं। यहां बाल्मीकि मंदिर, प्राचीन गंगा मंदिर, भागीरथ मंदिर आदि प्रमुख टेम्पल स्थित हैं। या यूं कहिए हरिद्वार आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु का पहला पड़ाव हर की पौड़ी से ही होकर गुजरता हैं।
2. चंडी माता का मंदिर हरिद्वार
माँ चंडी देवी का यह प्राचीन मंदिर व् शक्तिपीठ के रूप में नील पर्वत शृंखला पर स्थित हैं। यह हरिद्वार नजीबाबाद रोड गंगा नदी के ऊपरी किनारे पर स्थित हैं। यहां आप पैदल या उड़नखटोले की मदद से पहुंच सकते हैं। पैदल यात्रा आपको थका देगी पर असली भक्ति तभी हैं जब आप पैदल यहां जाते हैं।
उड़नखटोले का किराया सौ रूपये प्रति व्यक्ति हैं। हरिद्वार बस स्टैंड से आप ऑटो रिक्शा द्वारा 20 रूपये किराये देकर यहाँ तक पहुंच सकते हैं या हर की पौड़ी से अनेक लोगों की तरह पैदल भी चंडी पूल पार कर यहाँ की यात्रा शुरू कर सकते हैं। माँ चंडी देवी माँ भगवती के उस स्वरूप को माना जाता हैं जिसने चंड मुंड आदि राक्षसों का वध किया था और उनकी ऊर्जा यहाँ नील पर्वत पर विराजमान हुई थी।
माँ चंडी देवी एक जागृत शक्ति के रूप में यहाँ विधमान है जिनको पूजने रोज हजारों लोग मंदिर की यात्रा पैदल और उड़नखटोले से करते हैं। यह देवी अनेक गोन की कुलदेवी भी हैं। हरिद्वार, बिजनौर, सहारनपुर, कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल और देहरादून आदि स्थानों से सबसे अधिक भक्त यहाँ आते हैं।
माँ चंडी देवी के अलावा यहाँ हनुमानजी की माता अंजनी देवी का मंदिर भी स्थित हैं। जो चंडी मंदिर से लगभग एक किलोमीटर ऊपर पहाड़ पर विराजमान हैं। कहते हैं हनुमानजी उन भक्तो पर विशेष कृपा करते हैं जो यहाँ Haridwar me Ghumne ki Jagah आकर माता अंजनी देवी का दर्शन करते हैं।
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3. माँ मनसा देवी टेम्पल – Haridwar me Ghumne ki Jagah
मित्रों हर की पौड़ी स्नान के श्रद्धालुओं का पहला ठिकाना माँ मनसा देवी का मंदिर ही हैं। गंगा स्नान के बाद लोग पैदल ही माँ के दर्शन के लिए निकल पड़ते हैं और बाज़ार से होते हुए मंदिर जाने का रास्ता हैं जो की सीढ़ियों द्वारा जुड़ा हुआ हैं।
पहाड़ पर चढ़ने के लिए आपको इन सीढ़ियों का प्रयोग करना होता हैं जबकि कुछ भक्त उड़नखटोले की मदद से भी मंदिर तक पहुंचते हैं। जोकि बहुत रोमांचक सफर होता हैं। सौ रूपये प्रति व्यक्ति इसका किराया हैं।
दोस्तों यह मंदिर हरिद्वार का एक बहुत लोकप्रिय मंदिर जो शिवालिक पहाड़ियों के बिल्वा पर्वत पर स्थित है। मनसा देवी को शक्ति का स्वरूप माना जाता है जो भगवान शिव के मस्तिष्क की उपज है। आइये जानते हैं उनके बारे में थोड़ा:
जब शिव ने हलाहल विष पीया और उनका कंठ नीला हो गया था जिसके बाद वो नीलकंठ महादेव कहलाये थे। उस समय उनके माथे से तेज रूप में एक सुंदर कन्या प्रकट हुई जिसने शिव के विष को स्वयं धारण कर लिया जिसके प्रभाव से वह देवी नीली पड़ने लगी।
तब शिव ने उसे वरदान दिया था और हरिद्वार के इस पर्वत पर वास करने की आज्ञा दी थी। माँ मनसा देवी विष की देवी भी पुकारी जाती हैं जिनकी कृपा से सांपो का भी नहीं रहता।
माना जाता है कि मनसा देवी भक्तों की सभी मनकामनाओं को पूरा कर देतीं है जो वो कामना करके यहाँ आते हैं, इसलिए यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ हर समय लगी रहती है। हज़ारों हिंदु श्रद्धालुओं की भीड़ यहाँ हर रोज जमा रहती है।
भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने हेतु माँ मनसा देवी मंदिर में आकर धागा बांधकर प्रार्थना करते हैं और ये आस्था व विश्वास रखते है कि माँ मनसा देवी उन पर अपना आशीर्वाद ज़रूर बरसाऐंगी। यह हरिद्वार का सबसे मशहूर दर्शनीय स्थल (Haridwar me Ghumne ki Jagah) में से एक है जहाँ प्रतिदिन हजारों लोग दर्शन करने आते हैं।
4. हरिद्वार का भारत माता मंदिर
हरिद्वार का भारत माता मंदिर और मदर इंडिया टेम्पल के रूप में भी जाना जाने वाला यह मंदिर प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक शिक्षक स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का सम्मान करने के लिए बनाया गया था। इसका निर्माण सन् 1983 में हुआ था। हरिद्वार में भारत माता का एकमात्र मंदिर है जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। नायकों और महान संतों को समर्पित आठ मंजिलों वाला यह मंदिर 180 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, और शहर का शानदार नजारा पेश करता है
दोस्तों यदि आप वास्तव में हरिद्वार की खूबसूरती देखना चाहते है तो हरिद्वार के भूपतवाला क्षेत्र में स्थित इस दिव्य भारत माता मंदिर जरूर जाइए। पुरे हरिद्वार के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की सूची में इस मंदिर का नाम भी शामिल है।
जैसा कि आप इसके नाम को सुनने से ही जान गए होंगे कि यह मंदिर भारत माता को समर्पित है। इस भारत माता के मंदिर में किसी धार्मिक देवी देवता की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि ज़मीन पर भारत का विशाल नक्शा बना हुआ है जो भारत माता की प्रतिमा के रूप को दर्शाता है। जिसे देखकर आपकी आत्मा खुश हो जाएगी यदि आप एक देशभक्त इंसान हो।
एक ऐसी माता जिसने केसरिया वस्त्र धारण किए हुए हैं व उसके एक हाथ में किताब लिए हुए है, जबकि दूसरे हाथ में चावल का ढेर (जो कृषि प्रधान देश को दर्शाता हैं), एक माला व सफ़ेद कपड़ा है। इस मंदिर की शोभा इतनी औलोकिक हैं कि आपका यहाँ से जाने का मन ही नहीं करता हैं।
दोस्तों यह प्रसिद्ध मंदिर भारत के लाखों स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित किया गया है व इसमें हमारे देश भारत की विस्तृत संस्कृति को बहुत अच्छे से दर्शाता है। यह एक बहु-मंज़िला इमारत है जो सप्त सरोवर में स्थित है। हरिद्वार ऋषिकेश मुख्य मार्ग के समीप ही यह मंदिर स्थित हैं।
5. दक्ष प्रजापति मंदिर हरिद्वार – Haridwar me Ghumne ki Jagah
दोस्तों, दक्ष प्रजापति मंदिर हरिद्वार के कनखल के दक्षिण में स्थित, भगवान शिव का एक प्रसिद्ध व प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को यह नाम भगवान की शिव अद्धांगिनी देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति के नाम से मिला है। शिव प्राण में उनकी पूरी कथा विस्तार से बताई गयी हैं।
बताया जाता है कि एक बार महाराज दक्ष प्रजापति ने इस स्थान पर यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया और उसमें उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। अपने पिता की इस गलत व अन्यायपूर्ण हरकत से देवी सती ने खुद ने बहुत अपमानित महसूस किया और क्रोधित होकर उसी यज्ञ कुंड में छलांग लगा दी। जिससे देवी ने देह त्याग कर दिया।
शिवजी महाराज के गणों ने दक्ष की इस हरकत पर क्रोधित होकर हमला कर दिया और वीरभद्र नामक महापराक्रमी योद्धा ने अपनी तलवार से सिर काटकर राजा दक्ष का वध कर डाला।
बाद में भगवान शिव ने दक्ष के धड़ पर बकरे का सिर लगाकर उसे जीवनदान दिया। राजा दक्ष को अपनी इस हरकत पर बहुत ग्लानि हुई और उन्होंने भगवान शिव से इसकी क्षमा याचना की।
फिर शिवजी ने घोषणा की, कि जून से अगस्त के बीच पूरे सावन के महीनों में वह कनखल में रहा करेंगे और अपने भक्तो को आशीर्वाद प्रदान करेंगे। यही कारण है कि सावन के महीने यहां भक्तों की ज्यादा भीड़ उमड़ती है। दुनिया के सारे मंदिरों में शिव जी की शिंवलिंग के रूप में पूजा की जाती है। यही एक ऐसा मंदिर है यहां भगवान शंकर के साथ-साथ राजा दक्ष की धड़ के रूप में पूजा होती है। सावन के महीने जो कोई भी यहां जलाभिषेक करता है उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है यहां भगवान साक्षात रूप में विराजमान हैं।
तो वहीं अन्य प्रचलित किंवदंतियों के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण 1810 AD में रानी धनकौर ने करवाया था और 1962 में इसका पुननिर्माण किया गया। मंदिर के बीच में भगवान शिव जी की मूर्ति लैंगिक रूप में विराजित है। भगवान शिव का यह मंदिर देवी सती (शिव जी की प्रथम पत्नी) के पिता राजा दक्ष प्रजापति के नाम पर रखा गया है।
मंदिर में भगवान विष्णु के पाँव के निशान बने (विराजित) है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव जी के वाहन “नंदी महाराज” विराजमान है। राजा दक्ष के यज्ञ के बारे में वायु पुराण में भी उल्लेख है।
इस मंदिर में एक छोटा सा गड्ढा है , जिसके बारे में यह माना जाता है कि इस गड्ढे में देवी सती ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। दक्ष महादेव मंदिर के निकट गंगा के किनारे पर “दक्षा घाट” है , जहां शिव भक्त गंगा में स्नान कर भगवान शिव के दर्शन करके आनंद प्राप्त करते हैं। कनखल को भगवान शिव जी का ससुराल माना जाता है।
यहां गंगा नदी के किनारे स्थित सती कुंड को बेहद पवित्र माना जाता है और इस प्राचीन कुंड का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। यह पवित्र स्थल हरिद्वार के प्रमुख आकर्षणों (Haridwar me Ghumne ki Jagah) में से एक माना जाता हैं।
6. प्रेमनगर आश्रम हरिद्वार
हरिद्वार में फ्री में ठहरने के लिए प्रेम नगर आश्रम एक बेस्ट स्थान है। इस आश्रम में एक पार्क भी है जिसमें आप शांत समय बिता सकते हैं। यदि आप हरिद्वार आते हो तो यहाँ जरूर जाना चाहिए।
पानी के फव्वारे के साथ हरी-भरी हरियाली के साथ यह आश्रम ठहरने के लिए एक बेस्ट स्थान है। इस आश्रम का अपना खुद का गंगा घाट भी हैं जिसे परमहंस घाट के रूप में जाना जाता हैं।
पुरुष व महिलाओ के लिए अलग अलग स्नान की व्यस्था की गयी हैं। वर्तमान में इसके संचालक सतपाल जी महाराज हैं जो की केंद्रीय पर्यटन मंत्री हैं और पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद हैं।
कहा जाता है कि इस आश्रम में लगभग आठ सौ कमरे हैं। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि इस आश्रम में एक रात ठहरने के लिए लगभग 50 रुपये देना होता है। इस आश्रम में सुबह शाम मुफ्त भंडारा व लंगर भी लगता है।
देश भर से आने वाले श्रद्धालु यहाँ अपना निवास करते हैं और सतसंग सुनते हुए अपनी यात्रा को मंगलमय बनाते हैं। आप भी यदि हरिद्वार की घूमने की जगह तलाश रहे हैं तो एक बार प्रेम नगर आश्रम जरूर जाइएगा।
Haridwar me Ghumne ki Jagah